लक्ष्य को स्थापित एवं प्राप्त करना

यदि आप ध्यान, धैर्य, दृढ़ता एवं कौशल से कार्य करें, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी लक्ष्य!
एक पाठक ने मुझसे लक्ष्यों को स्थापित करने के विषय पर लिखने का अनुरोध किया। तो आज मैं इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करता हूँ। एक छोटे से प्रसंग से प्रारंभ करता हूँ -

सर्दी के एक सुंदर दिन, नरम सूर्य के नीचे मुल्ला नसरूद्दीन और उसका सबसे अच्छा मित्र एक शानदार बगीचे में हरी घास के भव्य बिस्तर पर लेटे हुए थे। वे धूप सेंक रहे थे। घने मनोहर पेड़ बगीचे की सीमा पर संगठित थे और उनकी टहनीयों ने रास्ते को ढक दिया था। विभिन्न प्रकार के फूल खिले हुए थे और मधुमक्खियाँ फूलों की चारों ओर मंडरा रहीं थीं। पक्षियाँ निडर होकर पेड़ों पर बैठ कर चहक रहीं थीं।  गरम हवा उन्हें इस प्रकार सहला रहीं थीं मानो आँख मिचौनी खेल रहीं हो। वातावरण अत्यंत शांत था।

“वाह! यहाँ कितना सुंदर है,” मुल्ला ने कहा। “इस क्षण, यदि कोई मुझे लाखों डॉलर भी दे तो मैं यह जगह नहीं छोडूंगा।”
“और यदि कोई करोड़ डॉलर दे तो?” उसके मित्र ने कहा।
“नहीं। पूरे संसार का संयुक्त धन भी कोई दे दे फिर भी नहीं!”
“ठीक है। और यदि मैं तीन डॉलर दूँ तो? मैं तुम्हें अभी इस जगह को छोड़ने के लिए तीन डॉलर दे सकता हूँ।”
“तीन डॉलर? अब तो बात कुछ अलग है। अब तुम वास्तविक धन की बात कर रहे हो।” यह कह कर मुल्ला उठ गया और जगह छोड़ने के लिए तैयार हो गया।

इस प्रसंग में एक उत्तम संदेश है - सपने चाहे जितने भी आकर्षक हो आपका मन उन्हें गंभीरता से कभी नहीं लेता, परंतु पुरस्कार अथवा लाभ की छोटी सी भी वास्तविक संभावना देख कर मन कार्य करने के लिए तैयार हो जाता है। आप असली खाना खाते हो, वास्तविक नौकरियों करते हो, असली कपड़े पहनते हो तो फिर आप के लक्ष्य वास्तविक क्यों नहीं होते? वास्तविकता का सदैव यह अर्थ नहीं कि  आप के लक्ष्य सरल एवं सहज हों, इसका यह अर्थ है कि आप उन्हें वास्तव में साध्य मानते हों।

१. लक्ष्यों की प्राप्यता पर विश्वास करें
लक्ष्यों के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप को उन पर विश्वास होना चाहिए। आप का लक्ष्य वास्तविकता का एक अंश होना चाहिए ना की दिन में सपने देखते हुए बनाया गया कोई खयाली पुलाव। सपने देखने तथा लक्ष्य की स्थापना करने में एक मुख्य अंतर है। आप का मन आप को केवल उन ही विचारों एवं लक्ष्यों पर विश्वास करने की अनुमति देगा जिन्हें आप वास्तव में सत्य मानते हैं। आप की अवधारणा एवं लक्ष्य पूरे संसार के दृष्टिकोण में चाहे जितना भी अवास्तविक क्यों ना हो, यदि आप उस पर विश्वास करें तो वह अवश्य आप का लक्ष्य हो सकता है। जिस की प्राप्ति के लिए भी आप यथोचित कार्य करने को तैयार हों वह आप का लक्ष्य हो सकता है।

आप किसे सत्य मानते हैं यह आप की विचारधारा, प्रतिबद्धता, प्रयास तथा मानसिकता पर निर्भर है। कल्पना करें कि आप के ऊपर पांच फीट की दूरी पर एक आम लटका है। आप को पता है कि आप सहजता से दो फीट कूद सकते हैं और अपने हाथ द्वारा चार फीट की ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं। आप को केवल थोड़ा और प्रयास करना होगा और यदि थोड़ा और ऊँचा कूद सकें तो अपने लक्ष्य तक पहुँच सकते हैं। आप का मन मानना है कि आप उसे प्राप्त कर सकते हैं। यह आप के विश्वास पर आधारित है - इस सत्य पर आधारित है कि आप कूदने का प्रयास कर सकते हैं। वही आम यदि बीस फीट की ऊंचाई पर हो तो आप निराश हो जाएंगे और संभव है कि आप प्रयास भी ना करें। परंतु बीस फीट पर लटके हुए आम को प्राप्त करना असंभव नहीं है विशेषकर यदि आप उसे पाने के लिए वास्तव में दृढ़ हैं। किंतु, केवल कूदने से आप सफल नहीं हो सकते। आप को सामग्री की आवश्यकता होगी - जैसे की एक गुलेल, एक पत्थर, या एक सीढ़ी इत्यादि। यदि आप अपने लक्ष्य पर विश्वास करते हैं तो आप का मन स्वतः ही सुझाव और योजना ले कर आता है।

२. लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए यथोचित कार्य करें
सपने वे होते हैं जो आप केवल देखते हैं किंतु उनके प्रति आप कोई कार्य नहीं करते। लक्ष्य वे होते हैं जिन की प्राप्ति के लिए आप कार्य करने के लिए तैयार हों। आप ने संभवत: “स्मार्ट गोल्स” के विषय में सुना होगा। यह ऐसे लक्ष्य होते हैं जो विशिष्ट (क्या), परिमेय (कितना), साध्य (कैसे), वास्तविक तथा निर्धारित समय पर (कब) हों। मैं दोहराना चाहूँगा कि आप का मन केवल उन लक्ष्यों के प्रति आप को दृढ़ प्रयास करने की अनुमति देगा जिन्हें आप वास्तव में साध्य लक्ष्य मानते हों। संभवत: “स्मार्ट गोल्स” होना पर्याप्त नहीं है - लक्ष्य ऐसे होने चाहिए जिनका आप मूल्यांकन कर सकें और फिर परिस्थिति के अनुसार ठीक कर सकें। यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं तो उन्हें प्राप्त करने की संभावना अधिक हो जाती है। कहते हैं कभी कभी सही समय पर सही जगह पर होने से बात बन जाती है। यदि आप लगातार प्रयत्न करते रहें तो सही समय पर सही जगह पर होने की संभावना बढ़ जाती है। आप के जीवन में चमत्कार होने की संभावना बढ़ जाती है और आप का भाग्य खुल जाता है। धैर्य रखें और प्रयत्नशील बने रहें। अनुशासन एवं दृढ़ संकल्प को ना त्यागें। सब्र का फल मीठा होता है। अनुकूल परिणाम निश्चित रूप से मिलेंगे। अपने लक्ष्यों का मूल्यांकन करें और यदि आवश्यकता हो तो फिर परिस्थिति के अनुसार उन्हें ठीक करें।

सपने तो कईं होते हैं, परंतु जिन सपनों को आप प्राथमिकता देते हैं जिन सपनों को आप वास्तविक एवं साध्य मानते हैं केवल वही लक्ष्य कहलाते हैं। मान लीजिए मिठाई की दुकान में एक बच्ची हो जिसे वहाँ की सभी मिठाईयाँ चाहिए। परंतु उसे क्या खाने की अनुमति है तथा उसके पास कितना धन है इस आधार पर उसे मिठाई चुनना होगा। अपने सपनों की दुकान से आप उन सपनों को चुनें जिन के बिना आप रह नहीं सकते। अपने लक्ष्यों को प्राथमिकता दें और उसके अनुसार कार्य करें। हर लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समय एवं प्रयास की आवश्यकता है। यदि आप लगातार धैर्यपूर्वक लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें तो आप कठिन से कठिन लक्ष्य को भी प्राप्त कर सकते हैं। आप बुलंद एवं वैभवशाली सपने देख सकते हैं, विशेष रूप से यदि ऐसा करने से आप प्रेरित होते हों, परंतु यदि आप अपने लक्ष्यों को वास्तव में प्राप्त करना चाहते हों तो आप को उन के औचित्य के विषय में सोचना चाहिए। सबसे पहले आप अपने लक्ष्यों को निश्चित करें - फिर वे सपने आप के व्यक्तित्व को और आप के जीवन को निश्चित करेंगे।

क्या आप जानते हैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में आप की सबसे बड़ी शक्ती क्या है? आप की आदतें। और आपकी सबसे बड़ी निर्बलता? आप की आदतें। अनुशासन एक आदत है, और अनुशासनहीनता भी एक आदत है।

अपने आप को और अपने जीवन को स्पष्ट रूप से स्थापित करने से पहले अपने आप को सम्पूर्ण रूप से समझने में समय बिताएं। यदि आप समय बिताएं और पूर्ण रूप से आत्म विश्लेषण करें, तो अपने आप को सफलता के मार्ग पर ले जाने की पर्याप्त शक्ति भी प्राप्त कर लेंगे।

शांति।
स्वामी




Print this post

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Share