जीवन एक संघर्ष

जीवन वास्तव में एक संघर्ष है या यह केवल दृष्टिकोण पर निर्भर है? कहानी पढ़ें।
हर महीने मैं दो-तीन हज़ार ईमेल पढ़ता हूँ। इन में नब्बे प्रतिशत ईमेल ऐसे व्यक्तियों से होते हैं जो किसी ना किसी समस्या से परेशान हैं और संघर्ष कर रहे हैं। उनमें से कुछ जीवन के उस चौराहे पर हैं जहाँ वे समस्याओं से जूझते जूझते थक गए हैं और आगे क्या करना है उन्हें पता नहीं, वे ऐसा कहते हैं। कई व्यक्ति यह लिखते हैं कि जीवन उन पर अत्यंत निर्दयी रहा है। जीवन एक संघर्ष है और उन के लिए जीवन सदैव ऐसा ही रहा है, वे ऐसा कहते हैं।

हाँ, जीवन कठिन हो सकता है, जीवन एक संघर्ष हो सकता है। परंतु क्या अन्य व्यक्तियों से यह भिन्न है? जिन व्यक्तियों के पास अधिक धन नहीं है वे समझते हैं कि धनवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं। और धनवान उद्योगपति जो तनावपूर्ण व्यवसाय संभाल रहे हैं उन्हें यह प्रतीत होता है कि जो व्यक्ति साधारण नौ से पाँच की नौकरी कर रहे हैं वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं। स्वस्थ व्यक्ति समझता हैं धनवान प्रसन्न है, धनवान व्यक्ति समझता है स्वस्थ लोग और प्रसन्न हैं। परंतु अनेक व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जिन के पास स्वास्थ्य, धन तथा आप जो कल्पना कर सकते हैं वह सब है, किंतु वे तब भी उदास हैं, और उन के लिए जीवन एक संघर्ष है।

सत्य तो यह है कि जीवन ऐसा ही होता है। हर किसी के लिए। व्यक्ति जब तक किसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कर्म कर रहा हो, उसे बाधाओं का सामना करना पड़ेगा। कुछ व्यक्ति इन बाधाओं को चुनौती समझ कर उनका सामना करते हैं, परंतु कुछ उन्हें संघर्ष के रूप में देखते हैं। लोग बदल सकते हैं, परिस्थितियां अधिक अनुकूल बन सकती हैं, परंतु इस का यह अर्थ नहीं कि चुनौतियां समाप्त हो जायेंगी। बाधाएं सदैव रहेंगी। मैं यह जान गया हूँ कि लोग जब संघर्ष के विषय में बात करते हैं, वे अधिकतर चुनौतियों की बात कर रहे हैं। हम किसी समस्या को अवसर समझते हैं या बाधा, यह तो हमारे मानसिकता तथा व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर है। चलिए आप को एक दिलचस्प कहानी बताता हूँ -

एक व्यक्ति ने अपने घर के आँगन में एक पेड़ पर एक तितली का कोया (कोकून) देखा। उसने अगले कुछ दिनों तक प्रतिदिन उसे परखा। एक दिन उस ने कोया के भीतर एक सुंदर इल्ली को देखा। वह डिम्ब में थी। व्यक्ति ने बहुत समय के लिए इल्ली को डिम्ब में संघर्ष करते हुए देखा। प्रतिदिन उसने यह संघर्ष देखा, परंतु जैसे जैसे दिन बीतने लगे इल्ली थोड़ा थोड़ा बाहर आने लगी और उसके शरीर पर पंख आने लगे। कोया बढ़ते हुए डिम्ब के लिए छोटा लगने लगा।

उस व्यक्ति से यह संघर्ष देखा ना गया और उसने तितली की सहायता करने का निर्णय किया। उसने कोये को काट कर खोल दिया और तितली आसानी से बाहर आ गई। परंतु वह सीधे भूमि पर गिर गयी। उसके शरीर में सूजन हो गयी और उसके पंख सूख गए। व्यक्ति वहाँ बैठे तितली को देखने लगा और यह आशा करने लगा कि वह उड़ने लगेगी, परंतु ऐसा कभी नहीं हुआ। वह अपने फूले हुए शरीर के साथ असहाय होकर चारों ओर रेंगने लगी। उस के पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे और इस लिए वह कभी उड़ नहीं सकी। कुछ समय के उपरांत उस की मृत्यु हो गयी। उस व्यक्ति ने जिसे संघर्ष समझा वह वास्तव में तितली को तैयार करने का प्रकृति का मार्ग था।

हमारे संघर्ष ही हमारे व्यक्तित्व को रूप प्रदान करते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि सभी संघर्ष अच्छे होते हैं, परंतु क्या यह वास्तव में ही संघर्ष हैं? एक पहलवान अपने शरीर को कैसे सशक्त करता है? भार उठा कर ही वह अपने मांसपेशियों को सशक्त करता है। वह वजन उठाने को एक संघर्ष मान सकता है या एक लाभप्रद कार्य समझ सकता है। उस की मन की स्थिति उस के दृष्टिकोण पर ही निर्भर है। और अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि परिणाम उसकी मानसिकता पर ही निर्भर है।

प्रकृति का विकास चुनौतियों द्वारा हुआ है। प्रकृति आप को भी आप की क्षमता के आधार पर लगातार चुनौतियां देगी। आप उन चुनौतियों के परिमाण को कम नहीं कर सकते हैं। यदि आप में कोई क्षमता है तो प्रकृति उसे बाहर लेकर ही आयेगी। हम ब्रह्मांड के सबसे मुख्य व्यक्ति नहीं हैं, केवल प्रकृति की भव्य योजना के एक छोटे से तत्व हैं। परंतु हाँ उन चुनौतियों की प्रबलता, आवृत्ति एवं संख्या को कम कर सकते हैं। कैसे? अपने जीवन को सरल बनाएं। जीवन की अव्यवस्था को कम करें। यदि सरलता का जीवन जिएंगे तो प्रतिकूल परिस्थितियों को संघर्ष कभी नहीं मानेंगे। मैं यह नहीं कह रहा कि आप हर चुनौती को एक अवसर मान कर स्वीकार करेंगे। परंतु आप चुनौती  द्वारा विचलित भी नहीं होंगे।

जीवन एक सीधी सड़क हो सकती है, परंतु बिना ऊबड़ खाबड़ के नहीं। यात्रा के कुछ पहलू सहज हो सकते हैं, परंतु आप को जागरूक एवं सतर्क रखने के लिए यह अस्त व्यस्त भी होगी। आप यात्रा का आनंद लें। कल्पना करें कि आप सड़क के किनारे खड़े हैं और जीवन के क्षण तीव्र यातायात के समान गुज़र रहे हैं। जीवन किसी के लिए रुकता नहीं है, यह किसी की आलोचना या प्रशंसा सुनने के लिए ठहरता नहीं है। हमारी पृथ्वी या अन्य ग्रह एक पल के लिए भी घूर्णन या परिभ्रमण करना रोकते नहीं हैं अथवा उनका अस्तित्व ही समाप्त हो सकता है। प्रकृति की यह जटिल, अन्योन्याश्रित एवं आकर्षक प्रणाली कभी रुकती नहीं है। जीवन कभी ठहर जाए यह संभव ही नहीं। यदि आप इस का आनंद लेना चाहते हैं, तो आप को इसके उतार चढ़ाव का साहसपूर्वक सामना करना होगा।

जीवन बुलबुले के समान है - वास्तविक एवं अनित्य। इस से पहले कि यह नष्ट हो जाए, इस का सम्पूर्ण आनंद लें।
(Image credit: Allison J. Bratt)
शांति।
स्वामी


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1 टिप्पणी:

anu ने कहा…

Hari om...

Prakriti svayam hamari kshamta pehchan kar uske anuroop vatavaran tayyar karti hai..

Kitna sunder samajhate hain Swamiji.....

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